


मध्य प्रदेश की राजनीति में इस समय सत्ता से भी बड़ा मुद्दा है—भारतीय जनता पार्टी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? मौजूदा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है और अब प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। यह केवल एक पद नहीं, बल्कि भाजपा के आगामी चुनावी रोडमैप की बुनियाद है। यही वह चेहरा होगा जो ज़मीनी कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करेगा, संगठन में नई ऊर्जा भरेगा और केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करेगा।
नए अध्यक्ष की तलाश पार्टी के भीतर कई स्तरों पर रणनीतिक सोच, सामाजिक समीकरण और नेतृत्व कौशल का संतुलन साधने की कोशिश है। यह चुनाव केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है—यह फैसला यह भी तय करेगा कि पार्टी किस जातीय वर्ग, किस क्षेत्र और किस पीढ़ी पर भविष्य का दांव लगाना चाहती है। राजनीतिक गलियारों में ऐसे कई नाम गूंज रहे हैं जिनमें अनुभव, संगठनात्मक पकड़ और जनता से जुड़ाव का सम्मिश्रण है। राजेंद्र शुक्ला, जो वर्तमान में उपमुख्यमंत्री हैं, नर्मदा किनारे की राजनीति से आते हैं और शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र माने जाते हैं। वहीं कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी तेज़ी से उभर रहा है, जिनकी पहचान राष्ट्रीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने वाले नेता के रूप में रही है।
इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा जैसे सधे हुए वक्ता, तेज़तर्रार छवि और राजनीतिक चातुर्य रखने वाले नेता भी इस दौड़ में माने जा रहे हैं। कुछ हलकों में अपेक्षाकृत शांत लेकिन संतुलित छवि वाले विधायक हेमंत खंडेलवाल और अनुसूचित जनजाति से आने वाले फग्गन सिंह कुलस्ते के नाम पर भी गहन मंथन चल रहा है। यह स्पष्ट है कि भाजपा नेतृत्व केवल नाम नहीं देख रहा, बल्कि वह भविष्य का चेहरा तलाश रहा है जो राजनीति की मौजूदा चुनौती को संगठनात्मक दृष्टिकोण से साध सके।
प्रदेश अध्यक्ष की यह नियुक्ति इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि अब मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में है और संगठन की ज़िम्मेदारी अब शासन को मज़बूती देने और विपक्षी रणनीति को निष्फल करने की दिशा में केंद्रित रहेगी। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि नया अध्यक्ष एक साथ संगठन को सशक्त बनाए, सामाजिक समीकरणों को साधे और भविष्य की राजनीति को दिशा दे।
कयास लगाए जा रहे हैं कि जुलाई के पहले सप्ताह में नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। यह घोषणा भाजपा की भावी रणनीति का संकेतक भी होगी—क्या पार्टी अनुभव पर भरोसा जताएगी या किसी नए चेहरे को कमान सौंपेगी?
निश्चित ही यह चयन भाजपा के लिए केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से निर्णायक क्षण है। यह चेहरा वह होगा जो ना सिर्फ आगामी चुनावों का नेतृत्व करेगा, बल्कि कार्यकर्ताओं की ऊर्जा को दिशा भी देगा और संगठन को नई रफ्तार भी।